झूठी भावुकता


            *झूठी भावुकता* 
*तालस्ताय* ने लिखा है कि उसकी मां इतनी दयालु थी कि थियेटर में देखकर रोने लगती थी, आंसू पोंछने लगती थी।
कभी-कभी गश खा जाती थी। अगर थियेटर में कोई एेसा दृश्य आ जाए तो गश खा जाती थी। कई दफा उसे बेहोश घर में लाना पड़ता था। और बड़ी दिवानी थी देखने की। तो थियेटर में रोज ही जाती थी।
और अक्सर एेसा होता, तालस्ताय ने लिखा है, जब मै छोटा था तो मुझे समझ में नहीं आया, जब मै बड़ा हुआ तो मै बड़ा हैरान हुआ। अक्सर एेसा होता था_कयोकि तालस्ताय शाही घराने का था। धनपति लोग थे, बङी जमींदारी थी। तो वह जो... जिस गाड़ी पर आती थी, जिस बग्घी पर बैठकर आती थी, वह बग्घी तैयार खड़ी रहती थी क्योंकि कब उसको गश आ जाए, और कब उसका मन उखड़ जाए, नाटक न जंचे तो वह उसी क्षण उठकर आ जाती थी। तो ड्राइवर को बैठा ही रहना पड़ता था, कोचवान को बैठा ही रहना था गाड़ी में। और रूस..... ठंडी रातें, बर्फ पड़ती।

एेसा होता है कि कोचवान बैठे- बैठे मर जाता है। और उसकी मां थियेटर से रोती हुई बाहर आती। और कोचवान मरा हुआ बैठा है, उसको धक्के देकर अलग कर दिया जाता है, दूसरे आदमी को पकड़ कर बिठाया जाता है, और गाड़ी चल पड़ती। लेकिन इस मरे हुए कोचवान के लिए तालस्ताय ने लिखा है कि मैंने कभी आंसू टपकाते नहीं देखा। यह असली आदमी मर गया, इसकी गाड़ी के लिए, इसकी ही प्रतीक्षा करते करते मर गया, इसके ही कारण मर गया, और इसके मन में कोई दया का भाव नही उठता? यह असली आदमी है। असली आदमी के प्रति किसी को दया का भाव नहीं उठता।
तुमने देखा? फिल्म में कोई आदमी किसी के प्रेम में पड़ गया तो तुम्हारी कितनी सहानुभूति होती है मगर तुमने असली प्रेमी को कभी सहानुभूति दिखाई? बस वहां तो एकदम जहर हो जाते हो। असली प्रेमी बड़ा खतरनाक आदमी है, लफंगा है, लुच्चा है। असली प्रेमी को कोई अच्छी भाषा भी नहीं बोलता। लेकिन फिल्म के प्रेमी को तुम बड़ी सहानुभूति देते हो।
अगर फिल्म में कोई पत्नी किसी पति को सता रही तो तुम्हारी बङी सहानुभूति पति के प्रति होती है। और अगर पति प्रेम में पड़ जाए, किसी दुसरी स्त्री के तो तुम्हारे मन में एेसा नही उठता की अनीति हो रही है, मगर असली जिंदगी में ?
असली जिंदगी में अपनिति हो रही हैं, सहानुभूति उठती ही नहीं, दया उठती ही नहीं। नरक में जाएंगे लोग।
यह बड़े आश्चर्य की बात है कि तुम झूठ से प्रभावित होते हो और सच का तुम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
# *दरिया झूठ सो झूठ है.*
 *ओशो*

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