पहली बात,
किसी स्त्री या पुरुष के साथ जिससे तुमको प्रेम नहीं है, मत जाओ। किसी सनक के चलते मत जाओ, किसी वासना के कारण मत जाओ। खोजो, क्या किसी व्यक्ति के साथ प्रतिबद्ध रहने की आकांक्षा तुममें जाग चुकी है।
क्या गहरा संबंध बनाने के लिए तुम पर्याप्त रूप से परिपक्व हो ?
क्योंकि यह संबंध तुम्हारे सारे जीवन को बदलने जा रहा है। और जब तुम संबंध बनाओ तो इसको पूरी सच्चाई से बनाओ। अपनी प्रेयसी या अपने प्रेमी से कुछ भी मत छिपाओ - ईमानदार बनो। उन सभी झूठे चेहरों को गिरा दो, जिनको पहनना तुम सिख चुके हो। सभी मुखौटे हटा दो।
सच्चे हो जाओ। अपना पुरा ह्रदय खोल दो, नग्न हो जाओ। दो प्रेम करने वालों के बीच में कोई रहस्य नहीं होना चाहिए, वरना प्रेम नहीं है। सारे भेद खोल दो। यह राजनीति है ; रहस्य रखना राजनीति है। प्रेम में ऐसा नहीं होना चाहिए। तुमको कुछ भी छिपाना नहीं चाहिए। जो कुछ भी तुम्हारे ह्रदय में उठता है उसे तुम्हारी प्रेयसी के लिए स्पष्ट रूप से पारदर्शी होना चाहिए। तुमको एक - दूसरे के प्रति दो पारदर्शी अस्तित्व बन जाना चाहिए। धीरे - धीरे तुम्हें दिखाई पड़ेगा कि तुम एक उच्चतर एकत्व की और विकसित हो रहे हो.....
ओशो
पतंजलि : योग - सूत्र
भाग : 1
प्रवचन नं. 20 से संकलित
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